Principal Message


तत्कर्म यन्न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये।

आयासामापरं कर्म विद्यान्या शिल्पनैपुणम्।।


कर्म वही है, जो बन्धन में न बांधे और विद्या वही है, जो मुक्ति का मार्ग प्रशस्ति करे। मुक्ति का अर्थ सामान्यतः संसार से पलायन के अर्थ में लिया जाता है, परन्तु विद्या का जोर इस पलायन पर नहीं, अपितु धर्म के साथ जीविका उपार्जन तथा धर्मयुक्त कर्मों की महत्ता पर है। शिक्षा मानव को विवेकशील और संस्कारवन बनाकर निरंतर उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। वास्तव में किसी सभ्य-समाज के अनुभूत सत्य की साक्षी विद्या ही होती है।

हम सभी शिक्षकगण अपने विवेक, प्रगतिशील, कर्तव्यनिष्ठ, शैक्षणिक कुशलता को आधार बनाकर वर्तमान समय की आवश्यकतानुसार ज्ञान-प्रवाह की अविरल धारा को निरंतर प्रवाहित करने का भीष्म संकल्प लें। साथ ही कुशल निर्देशन और परामर्श के उचित संयोजन से छात्र-छात्राओं में अन्तर्निहित क्षमताओं एवं अपार संभावनाओं का समुचित विकास कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें।

‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ में छात्र-छात्राओं के अंदर तीव्र ग्रहणीय क्षमता विकसित करने हेतु बहुत से नवाचार माध्यमों के लिए संकेत किया गया है, जिसमें स्मार्टक्लास, अनुभवी शिक्षकों की नियुक्ति, नई टेक्नोलॉजी, ई-कण्टेंट आदि के प्रयोग को प्राथमिकता दी गयी है। छात्र-छात्राओं में उच्च गुणवत्ता युक्त माध्यमों के साथ-साथ शारीरिक एवं मानसिक गुणवत्ता विकसित करने हेतु सह शिक्षणेत्तर गतिविधियों पर बल दिया गया है, जिसमें एथलेटिक्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम, योग प्रशिक्षण, पोस्टर मेकिंग, मेडिटेशन, नाटक आदि कई गतिविधियाँ शामिल है। हमार गुरूतर दायित्व है कि वैश्वीकरण के इस दौर में दृढ़-संकल्पशक्ति, विचारशीलता, त्याग, निष्ठा, कर्मठता एवं सदाशयता को आधार बनाकर छात्र-छात्राओं की ऐसी भावी पीढ़ी का निर्माण करना होगा, जो राष्ट्रगौरव के रूप में अनमोल धरोहर हो सके।

Prof. Dr. Sushma Devi

       (Indira Gandhi Rajkeeya Mahila Mahavidyala)
Principal