महाविद्यालय का परिचय

इस महाविद्यालय की आधारशिला 12 सितंबर 1993 को महामहिम श्री मोतीलाल बोरा राज्यपाल उ॰ प्र॰ द्वारा रखी गई थी। आरंभिक सत्र 1993-94 में मात्र 109 बालिकाएँ यहाँ अध्ययनरत थीं। वर्तमान समय में इनकी संख्या 1100 है। इस महाविद्यालय को यू॰जी॰सी॰ के (2F) तथा (12B) से मान्यता प्राप्त है। यहाँ बी॰ए॰, बी॰कॉम॰ व एम॰ए॰ (समाजशास्त्र) के शिक्षण की व्यवस्था है। महाविद्यालय छत्रपती शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से संबद्ध रहा है परन्तु वर्तमान में पूर्णत: लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से संबद्ध हो गया है। बी॰ए॰, स्तर पर यहाँ सात विषय - हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, गृहविज्ञान, शारीरिक शिक्षा की शिक्षा प्रदान की जाती है और बड़े हर्ष का विषय है कि 2021-22 सत्रह से लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा एम॰ए॰ समाजशास्त्र को भी मान्यता प्रदान कि गई है जिसमे वर्तमान सत्र में 14 छात्राएँ अध्ययनरत हैं।

महाविद्यालय में दुरस्थ शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत उ॰प्र॰ राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज का केंद्र भी है, जिसमें स्नातक स्तर के साथ परास्नातक स्तर पर हिन्दी, समाजशस्त्र, अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, बी॰लिब॰, एम॰लिब॰, एम॰बी॰ए॰ पी॰जी॰डी॰एफ॰एम॰, डी॰आर॰डी॰, सी॰सी॰सी॰पी॰, सी॰एल॰डी॰, पी॰जी॰ डिप्लोमा जर्नलिज्म, मास कम्युनिकेशन आदि कि अध्ययन व्यवस्था उपलब्ध है जिसमें लगभग 50 छात्र-छात्राएँ पंजीकृत है।

   महाविद्यालय को राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान (रूसा) के अंतर्गत अनुदान प्राप्त किया गया है जिसकी सहायता से दो व्याख्यान कक्ष, एक कम्प्यूटर लैब, दो स्मार्ट क्लास व पूर्णत: औटोमटेड पुरस्तकालय बनाया है। महाविद्यालय की प्राचार्या के कुशल निर्देशन में 14 प्राध्यापक एवं दो कार्यालय कर्मचारीगण निष्ठा पूर्वक अपने दायित्यों का निर्वहन कर रहे हैं।